पहचान
मै गुम हूं पर गुमनाम नही, इस भीड़ से मेरी पहचान नही.... मेरी अपनी अलग परिभाषा है, मन में छोटी सि आशा है.... इन धूप छांव से प्रतिदिन मैने भी कुछ सीखा है.... है खुशी जहां पे पल भर की, वहां थोड़ी सि तो निराशा है.... अगर हर दिन मैं तिनका जोड - जोड अपना आशियां बनाऊंगी, तो निश्चित है की एक दिन मैं अपने मंजिल को गले लगाऊंगी.... मै बेफिक्र हूं आने वाले किसी भी अंजाम से, फिर काटें हों या पुष्प मिले निष्पक्ष हूं मैं परिणाम से बयां नही करते मुझको मेरे जीवन के इम्तहान, अंजाम कोई आयाम नही मेरी अपनी अलग जिज्ञाशा है...